भोपाल नगर निगम वार्ड आरक्षण ने बिगाड़ा प्रत्याशियों का समीकरण


भोपाल-वार्ड आरक्षण ने एक बार फिर मैदान में उतरने से पहले ही कुछ प्रत्याशियों को डिस्कवालिफ़ाइ कर दिया हे पहले अपनी तैयारियां किये बैठे उम्मीदवार अब हताश निराश हैं 
 वार्ड फेरबदल से खुल सकता हे रास्ता 
निगम परिषद अध्यक्ष रहे डॉ. सुरजीत सिंह चौहान वार्ड-51 से भाजपा पार्षद थे। अब पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए उन्हें नया वार्ड तलाशना होगा या फिर अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतारना होगा। पूर्व पार्षद शाहिद अली इस दफा चुनाव लड़ने की उम्मीद लगाए हुए थे। उनका वार्ड 9 अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो गया। पिछली दफा सामान्य महिला सीट होने पर उनकी पत्नी शबाना अली पार्षद चुनी गई थीं। इसी तरह वार्ड 23 से पार्षद रहे रफीक कुरैशी भी इस वार्ड से उम्मीदवारी नहीं कर सकेंगे। उनका वार्ड महिला पिछड़ा वर्ग आरक्षित हो गया है। हालांकि कोलार का गणित भी पूरा बिगड़ गया है। यहां वार्ड 83 ओबीसी मुक्त है। यहां से रविंद्र यति, भूपेंद्र  माली, मनजीत सिंह मारण और कामता प्रसाद पाटीदार दावेदारी पेश कर सकते हैं।
यहाँ भी खेल बिगड़ा  
कृष्ण मोहन सोनी:एमआईसी सदस्य और सीनियर पार्षद सोनी पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। ऐसे में उनका वार्ड -2 अनारक्षित महिला होने से फर्क नहीं पड़ेगा। इस सीट से उनकी पत्नी या अन्य कोई भी चुनाव लड़ सकता है। वे स्वयं चुनाव लड़ेंगे, तो उन्हें वार्ड 4 और 5 में जाना होगा।
प्रदीप मोनू सक्सेना:वार्ड -27 से पार्षद रहे सक्सेना का वार्ड ओबीसी महिला हो गया है। उन्हें नया वार्ड ढूंढना होगा।
मनोज राठौर: वार्ड -7 पहले ओबीसी मुक्त था, अब अनारक्षित महिला हो गया है। अब राठौर पत्नी को चुनाव लड़ा सकते हैं। यदि उन्हें चुनाव लड़ना है, तो दूसरा वार्ड ढूंढना होगा।
अमित शर्मा:कांग्रेस के सक्रिय नेताओं में से एक और वार्ड-31 से पार्षद रहे अमित शर्मा को भी अब पार्षद बनने के लिए नया वार्ड तलाशना होगा। उनका वार्ड ओबीसी के खाते में चला गया है।
आशा जैन:एमआईसी सदस्य और वार्ड 72 से पार्षद रहीं आशा जैन भी अब चुनाव नहीं लड़ सकेंगी। उनका वार्ड ओबीसी मुक्त हो गया है।
महेश मकवाना: वार्ड 10 से भाजपा पार्षद रहे महेश मकवाना अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाएंगे या फिर वह खुद आगामी चुनाव तक सीट के अजा मुक्त होने का इंतजार करेंगे।
मेवालाल: वार्ड 11 से पूर्व पार्षद रहे मेवालाल की सीट एससी महिला हो गई है, पहले वे एससी मुक्त सीट से चुनाव जीते थे। वे अपनी पत्नी को चुनाव लड़ा सकते हैं।
अब्दुल शफीक: पूर्व पार्षद रहे अब्दुल शफीक को वार्ड बदलना होगा। पहले उनका वार्ड-14 ओबीसी मुक्त था, अब यह वार्ड अनारक्षित महिला के खाते में चला गया है। अब वे इस वार्ड से अपने परिवार की किसी महिला को भी चुनाव लड़ा सकते हैं।
मोहम्मद सउद : वार्ड 8 से निर्दलीय चुनाव लड़कर पार्षद बनने वाले मोहम्मद सउद का वार्ड ओबीसी महिला हो गया है। अब उन्हें चुनाव लड़ना है, तो अपने लिए दूसरा वार्ड तलाशना होगा।
सुरेंद्र वाडीका: वार्ड 64 से पार्षद रहे सुरेंद्र वाडीका को वार्ड बदलना होगा। या फिर उसी सीट से वह अपनी पत्नी को भी चुनाव लड़ा सकते हैं।
 इन नेताओं को नहीं पड़ा वार्ड आरक्षण से कोई फक 
तुलसा वर्मा - वार्ड :73 से पार्षद रहीं तुलसा वर्मा अपने क्षेत्र से फिर से चुनाव लड़ सकती हैं। पहले उनका वार्ड अनारक्षित महिला था, लेकिन इस बार वह अब अनारक्षित मुक्त हो गया है।
शबिस्ता सुल्तान - वार्ड :24 से पार्षद शबिस्ता सुल्तान का वार्ड पहले ओबीसी महिला था, अब अनारक्षित मुक्त हो गया है। वे और उनके पति दोनों में से कोई भी इस वार्ड से चुनाव लड़ सकता है।
राजकुमारी मीना - वार्ड :1 से पार्षद रहीं राजकुमारी मीना दोबारा चुनाव लड़ सकती हैं या फिर उनके पति दावेदारी पेश कर सकते हैं। उनका वार्ड अनारक्षित मुक्त हो गया है। पहले यह वार्ड अनारक्षित महिला था।
संतोष कंसाना - वार्ड :29 से पार्षद रहीं संतोष कंषाना और उनके पति दोनों ही अब इस वार्ड से पार्षदी का चुनाव लड़ सकते हैं। उनका वार्ड अनारक्षित मुक्त हो गया है।
आगामी समय में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव के बाद नगर निगम अध्यक्ष बनने  आएगी अड़चन