राफेल युद्ध जीतने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है
दुनिया के सबसे घातक लड़ाकू विमानों में शुमार राफेल बुधवार को आखिरकार भारत पहुंच गए। फ्रांस के मेरिगनेक एयरबेस से करीब सात हजार किमी सफर तय करने के बाद दोपहर करीब 3 बजकर 10 मिनट पर वायुसेना के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर पहला राफेल विमान उतरा।
इसके बाद एक-एक कर बाकी चारों विमानों ने 3 बजकर 13 मिनट तक लैंडिंग की। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया समेत शीर्ष अधिकारियों ने सातों जांबाज पायलटों की अगवानी की।
इससे पहले, राफेल विमानों के भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने पर दो सुखोई-30 विमानों ने उनकी अगवानी की व अंबाला एयरबेस पर लैंड करने के बाद वाटर सैल्यूट दिया गया। हालांकि, राफेल को वायुसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया है, लेकिन औपचारिक समारोह अगस्त में होगा। कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल होंगे।
भारत के लिए राफेल के मायने...
वायुसेना का बढ़ा मनोबल: भारती वायुसेना का मनोबल बढ़ा है। राफेल युद्ध जीतने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
दुश्मन पर बढ़त : अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों से लैस है। दुनिया की सबसे घातक समझे जाने वाली हवा से हवा में मार करने वाली मेटयोर मिसाइल किसी भी एशियाई देश के पास नहीं है।
स्टील्थ तकनीक यानी कि रडार को चकमा देने की ताकत है।
किसी भी मौसम में दुश्मन की सीमा के भीतर जाकर हमला कर सकता है। साथ ही यह हिमालय के उपर भी उड़ सकता है, यह क्षमता बहुत कम विमानों में है।
राफेल की टक्कर का कोई लड़ाकू विमान चीन और पाकिस्तान के पास नहीं है। हवा से हवा और हवा से जमीन पर वार करने के मामले में राफेल का चीन या पाकिस्तान के विमानों से कोई तुलना ही नहीं है।
पाक के पास जो सबसे आधुनिक विमान अमेरिका से आए एफ-16 और एफ-17 ही हैं।
चीन के पास सबसे आधुनिक विमान चेंगदु जे-20 है। दूसरे देशों की नकल कर चीन ने इसे बनाया है और इसे लेकर उसके दावे भी संदिग्ध हैं।
लीबिया, इराक और सीरिया में राफेल की खूबियां साबित हो चुकी हैं।
राफेल में न सिर्फ उससे ज्यादा खूबियां हैं बल्कि भारत ने अपनी जरूरतों के मुताबिक इसमें कुछ संशोधन भी करवाए हैं।