तत्कालीन केंद्र सरकार कांग्रेस के द्वारा राजीव गांधी जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन मिशन योजना (वाटरशेड ) सन 1995 से सभी राज्यों में प्रारम्भ कीगई थी किन्तु वर्तमान सरकार आने के बाद से इस योजना में राशि कटौती करते हुए वाटरशेड प्रोजेक्ट को मध्य प्रदेश में बंद करने जा रही है राजीव गाँधी नाम होने से केंद्र सरकार अस्तितव को समाप्त करने में लगी हुई है जब की अन्य राज्यों में स्वरुप बदलकर इसे निरंतर चलाया जारहा है राजीव गाँधी जल ग्रहण क्षेत्र प्रबंधन मिशन द्वारा मध्य प्रदेश में कृषि हेतु सिचाई के क्षेत्र में वृद्धि व भूजल संवर्धन को बढ़ाने में यह योजना मील का पत्थर साबित हुई है जिससे समय समय पर भारत सरकार द्वारा प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में उन्नति होने प्रदेश सरकार को कृषि अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है वर्तमान में मध्य प्रदेश सरकार राजीव गांधी के नाम से वाटरशेड की कार्यप्रणाली को देखते हुए उसी प्रकार से किसानो के हित में और नदियों को पुनर्जीवित करने हेतु वाटरशेड को जीवित रखकर निरंतर बनाये रखने में प्रदेश सरकार सहायक हो रही है जिसमे सभी तकनीकी स्टाफ की भारत सरकार की गाइड लाइन अनुसार नियुक्ति हुई है इसके बावजूद वर्तमान अधिकारी इसको द्वेष की भावना रखकर राजीव गाँधी वाटरशेड मिशन के नाम को समाप्त कर यंहा पदस्थ तकनीकी अमले को जानबूझकर परेशान कर वर्त्तमान अधिकारी पुरानी सरकार का समर्थन करते हुए तकनीकी स्टाफ को निकलने जारही है ! ये राजीवगांधी जलग्रहण मिशन के नाम को समाप्त कर क्या साबित करना चाहते है !जबकि कुछ समय पहले इस योजना का स्वरूप बदल कर इसे सुचारु रूप से चलाने हेतु मध्य प्रदेश शासन स्तर पर चर्चा करने के उपरांत निर्णय EC (सशक्त समिति )की बैठक का आयोजन 15 /11 /2019 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक सम्पन हुई थी जिसमे प्रस्तुत कार्यवाही विवरण पर सामूहिक रूप से सहमति हुई थी जिसके मिनिट्स आज दिनांक तक जारी नहीं हुए है क्यों की कुछ शासन स्तर पर पदस्थ अधिकारी नाखुश होकर अपनी मनमर्जी चलाकर शसक्त समिति में हुए निर्णय का विरोध कर अजेंडा को जारी नहीं किया जा रहा है। इस योजना के बंद होने से नदी पुनर्जीवन जैसी सफल योजना खतरे में पड़ेगी जिससे जलसंकट खड़ा होगा,एवं अनेकों तकनीकी कर्मचारियों के परिवार भुखमरी के दौर से गुजरेंगे।